मुक्तिका:
कैसे?…
संजीव
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जो हकीकत है तेरी दुनिया बताऊँ कैसे?
आइना आँख के अंधे को दिखाऊँ कैसे?
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बात बढ़-चढ़ के तू करता है, तुझे याद रहे
तू है नापाक, तुझे पाक बुलाऊँ कैसे?
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पाल चमचों को, नहीं कोई बड़ा होता है.
पूत दरबार में चढ़ पाए, सिखाऊँ कैसे?
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हैं सितारे तेरे गर्दिश में सम्हल ऐ नादां!
तू है तिनका, तुझे बारिश में बचाऊँ कैसे?
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'चोर की दाढ़ी में तिनका' की मसल याद रहे
किसी काने को कहो टेंट दिखाऊँ कैसे?
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पीठ में भाई की भाई ने छुरा फिर घोंपा
लाल हैं सरहदें मस्तक न जुकाऊँ कैसे?
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Sanjiv verma 'Salil'*
देख होता है अनय सच को छिपाऊँ कैसे?
कल कहा ठीक, गलत आज बताऊँ कैसे?
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शीश कटते हैं जवानों के, नयन नम होते-
सुन के भाषण औ' बहस महुद को मनाऊँ कैसे??
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.in
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