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शुक्रवार, 10 जनवरी 2014

MUKTIKA: KAISE? -SANJIV

मुक्तिका:
कैसे?… 
संजीव
*
जो हकीकत है तेरी दुनिया बताऊँ कैसे?
आइना आँख के अंधे को दिखाऊँ कैसे?
*
बात बढ़-चढ़ के तू करता है, तुझे याद रहे
तू है नापाक, तुझे पाक बुलाऊँ कैसे?
*
पाल चमचों को, नहीं कोई बड़ा होता है.
पूत दरबार में चढ़ पाए, सिखाऊँ कैसे?
*
हैं सितारे तेरे गर्दिश में सम्हल ऐ नादां!
तू है तिनका, तुझे बारिश में बचाऊँ कैसे?
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'चोर की दाढ़ी में तिनका' की मसल याद रहे
किसी काने को कहो टेंट दिखाऊँ कैसे?
*
पीठ में भाई की भाई ने छुरा फिर घोंपा
लाल हैं सरहदें मस्तक न जुकाऊँ कैसे?
*
देख होता है अनय सच को छिपाऊँ कैसे?​
​कल कहा ठीक, गलत आज बताऊँ कैसे?
*
शीश कटते हैं जवानों के, नयन नम होते-
​सुन के भाषण औ' बहस महुद को मनाऊँ कैसे??
Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.in

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