छंद सलिला:
संजीव
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(अब तक प्रस्तुत छंद: अग्र, अचल, अचल धृति, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रा वज्रा, उपेन्द्र वज्रा, कीर्ति, घनाक्षरी, प्रेमा, वाणी, शक्तिपूजा, सार)
माला छंद
माला छंद में २ पद, ४ चरण, ४४ वर्ण तथा ७० मात्राएँ होती हैं. प्रथम-द्वितीय पद उपेन्द्रवज्रा तथा तृतीय-चतुर्थ पद इंद्रवज्रा
छंद का होता है जिनमें क्रमशः जगण तगण जगण २ गुरु तथा तगण तगण जगण २ गुरु
अर्थात १२१ २२१ १२१ २२ तथा २२१ २२१ १२१ २२ मात्राएँ होती हैं.
उदाहरण:
१. रखें न नाता बिन भावना के, सुने विधाता बिन कामना के
पाया लुटाओ फिर प्यार पाओ, देवा सुनेगा दिल से सुनाओ
२. सियासतों ने सबको ठगा है, रवायतों से मिलती दगा है
वादा वही जो मन से किया है, नाता निभे तो खिलता हिय है
३. महानुभावों न रखें कभी भी, पड़ोसियों से मतभेद कोई
पाया पडोसी यदि पाक जैसा, तो आपकी कोशिश व्यर्थ होगी
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Sanjiv verma 'Salil'
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