छंद सलिला:
निधि छंद
संजीव
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(अब तक प्रस्तुत छंद: अग्र, अचल, अचल धृति, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रा वज्रा, उपेन्द्र वज्रा, कीर्ति, घनाक्षरी, प्रेमा, वाणी, शक्तिपूजा, सार, माला, शाला, हंसी, दोधक, सुजान, छवि, निधि)
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निधि नौ मात्रिक छंद है जिसमें चरणान्त में लघु मात्रा होती है. पद (पंक्ति) में चरण संख्या एक या अधिक हो सकती है.
उदाहरण :
१. तजिए न नौ निधि
भजिए किसी विधि
भजिए किसी विधि
चुप मन लगाकर-
गहिए 'सलिल' सिधि
२. रहें दैव सदय, करें कष्ट विलय
गहिए 'सलिल' सिधि
२. रहें दैव सदय, करें कष्ट विलय
मिले आज अमिय, बहे सलिल मलय
मिटें असुर अजय, रहें मनुज अभय
रचें छंद मधुर, मिटे सब अविनय
३. आओ विनायक!, हर सिद्धि दायक
३. आओ विनायक!, हर सिद्धि दायक
करदो कृपा अब, हर लो विपद सब
सुख-चैन दाता, मोदक ग्रहणकर
खुश हो विधाता, हर लो अनय अब
====================सुख-चैन दाता, मोदक ग्रहणकर
खुश हो विधाता, हर लो अनय अब
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