chhand salila: leela chhand -sanjiv
छंद सलिला:
लीला छंद
संजीव
*
(अब तक प्रस्तुत छंद: अग्र, अचल, अचल धृति, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा,
उपेन्द्रवज्रा, कीर्ति, घनाक्षरी, छवि, तांडव, तोमर, दीप, दोधक, निधि, प्रेमा,
मधुभार,माला, लीला, वाणी, शक्तिपूजा, शाला, शिव, शुभगति, सार, सुगति, सुजान, हंसी)
*
लीला द्वादश मात्रिक छंद है. इसमें चरणान्त में जगण होता है.
उदाहरण:
१. लीला किसकी पुनीत, गत-आगत-आज मीत
बारह आदित्य प्रीत,करें धरा से अभीत
लघु-गुरु-लघु दिग्दिगंत, जन्म-मृत्यु-जन्म तंत
जग गण जनतंत्र-कंत, शासक हो 'सलिल' संत
२. चाहा था लोक तंत्र, पाया है लोभ तंत्र
नष्ट करो कोक तंत्र, हों न कहीं शोक तंत्र
जन-हित मत रोक तंत्र, है कुतंत्र हो सुतंत्र
जन-हित जब बने मंत्र, तब ही हो प्रजा तंत्र
---------------
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें