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सोमवार, 27 जनवरी 2014

muktak: sanjiv

Sanjiv Verma 'salil'  
*
मुक्तक:
अंधेरों को चीरकर तुमकोउजाला मिलेगा 
सत्य-शिव-सुंदर वरो, मन में शिवाला मिलेगा 
सूर्य सी मेहनत करो बिन दाम सुबहो-शाम तुम-
तभी तो अमरत्व का तुमको निवाला मिलेगा 

andheron ko cheerkar nikalo uajala milega / 
satya shiv sundar varo man men shivala milega / 
surya si mehnat karo bin daam subho-shaam tum
tabhee amaratva ka tumako nivala milega.
*
बिटिया बोले तो बचपन को याद करो 
जब चुप तो खुद से ही संवाद करो
जब नाचे तो झूम उठो आनंद मना 
कभी न रोए प्रभु से यह फरियाद करो 

bitiya bole to bachpan ko yad karo / 
jab chup ho to khud se hee samvad karo / 
jab nache to jhoom utho anand mana / 
kabhee n roye prabhu se yah fariyaad karo.
*
नये हाथों को सहारा दें सदा
शुक्रिया मिलकर खुदा का हो अदा
नईं राहों पर चलें जो पग नये
मंज़िलें होंगी 'सलिल' उन पर फ़िदा

naye hathon ko sahara den sda/
shukriya milkar khuda ka ho ada/
nyi rahon par chale jo pag nye/
manzilen hongi 'salil' un par fida

*
salil.sanjiv@gmail.com / divyanarmada.blogspot.in

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