छंद सलिला:
बारहमात्रीय छंद
संजीव
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(अब तक प्रस्तुत छंद: अग्र, अचल, अचल धृति, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रा वज्रा,
उपेन्द्र वज्रा, कीर्ति, घनाक्षरी,
छवि, तोमर, दीप, दोधक, निधि, प्रेमा, माला, वाणी, शक्तिपूजा, शाला, शुभगति, सार, सुगति, सुजान, हंसी)
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बारह मात्रीय छंदों के २३३ भेद या प्रकार हैं जिनमें से तोमर, तांडव, लीला तथा नित अधिक लोकप्रिय हैं.
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तोमर छंद:
बारह मात्रा, अंत में गुरु लघु
बारह सुमात्रिक छंद, तोमर सृजे आनंद
गुरु-लघु रखे पद-अंत, सुर-नर पुजित ज्यों संत
आदित्य बारह मास, हरकर तिमिर संत्रास
भू को बना दे स्वर्ग, ईर्ष्या करे सुर वर्ग
कलकल बहे जल धार, हर श्रांति-क्लांति अपार
कलरव करें खगवृंद, रवि-रश्मि ताप अमंद
सहयोग सुख सद्भाव, का हो न तनिक अभाव
हो लोक सेवक तंत्र, जनतंत्र का यह मंत्र
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सalil.sanjiv@
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