भारत को कहते थे
१ भारत को कहते थे सोने की चिड़िया सुख चैन से रहते थे। २ गोरों को भाया था माता का आँचल वो लूटने आया था ३ हमें याद हो कुर्बानी वीरों की गाथा वो जोश भरी बानी। ४ कैसी आजादी थी भू का बँटवारा माँ की बर्बादी थी। ५ सरहद पे रहते हैं उनका दुख पूछो वो क्या क्या सहते हैं। ६ घर की तो याद आती प्रेम भरी पाती उन तक न पहुँच पाती। ७ बतलाऊँ कैसे मैं सबकी चिंता है घर आऊँ कैसे मैं? ८ हैं घात भरी रातें बैरी करते हैं गोली की बरसातें। ९ आजादी मन भाये कितनी बहनों के पति लौट नहीं पाये। १० ये प्रेम भरी बोली दुश्मन क्या जाने खेले खूनी होली -शशि पुरवार |
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