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शनिवार, 25 जनवरी 2014

shbh gantantra divas




भारत को कहते थे


भारत को कहते थे
सोने की चिड़िया
सुख चैन से रहते थे।


गोरों को भाया था
माता का आँचल
वो लूटने आया था


हमें याद हो कुर्बानी
वीरों की गाथा
वो जोश भरी बानी।


कैसी आजादी थी
भू का बँटवारा
माँ की बर्बादी थी।


सरहद पे रहते हैं
उनका दुख पूछो
वो क्या क्या सहते हैं।


घर की तो याद आती
प्रेम भरी पाती
उन तक न पहुँच पाती।


बतलाऊँ कैसे मैं
सबकी चिंता है
घर आऊँ कैसे मैं?


हैं घात भरी रातें
बैरी करते हैं
गोली की बरसातें।


आजादी मन भाये
कितनी बहनों के
पति लौट नहीं पाये।

१०
ये प्रेम भरी बोली
दुश्मन क्या जाने
खेले खूनी होली

-शशि पुरवार

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