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रविवार, 5 जनवरी 2014

chhand salila: hansi chhand -sanjiv

छंद सलिला:
हंसी छंद

संजीव
*
(अब तक प्रस्तुत छंद: अग्र, अचल, अचल धृति, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रा वज्रा, उपेन्द्र वज्रा, कीर्ति, घनाक्षरी, प्रेमा, वाणी, शक्तिपूजा, सार, माला, शाला)

हंसी छंद में २ पद, ४ चरण, ४४ वर्ण तथा ७० मात्राएँ होती हैं. प्रथम-तृतीय चरण उपेन्द्रवज्रा जगण तगण जगण २ गुरु तथा द्वितीय-चतुर्थ चरण में इन्द्रवज्रा तगण तगण जगण २ गुरु मात्राएँ होती हैं.
हंसी-चरण इन्द्रवज्रा में, दूजा-चौथा हों लें मान
हो उपेन्द्रवज्रा में पहला-तीजा याद रखें श्री मान

उदाहरण:
१. न हंस-हंसी बदलें ठिकाना, जानें नहीं वे करना बहाना
    न मांसभक्षी तजते डराना, मानें नहीं ठीक दया दिखाना

२. सियासती लोग न जान पाते, वादे किये जो- जनता न भूले
    दिखा सके जो धरती अजाने, कोई न जाने उसको बचाना
३. हँसें न रोयें चुपचाप देखें, होता तमाशा हर रोज़ कोई
    मिटा न  पायें हम आपदाएँ, जीतें हमेशा हँस मुश्किलों को
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