stuti -sanjiv
स्तुति:
नमन लो
संजीव
निराकार-साकार नमन लो
रूप-रंग-आकार नमन लो
हे कंकर में व्यापे शंकर
जनगण-मन के प्यार नमन लो
*
निर्गुण गुण आगार नमन लो
भवसागर-सरकार नमन लो
धर्म-कर्म के आदि प्रणेता
श्वास-आस सिंगार नमन लो
*
सत-शिव-सुंदर सार नमन लो
सत-चित-आनंदकार नमन लो
जड़-छेदन के सृजनहार हे!
हर मन के मनुहार नमन लो
*
Sanjiv verma 'Salil'
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