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मंगलवार, 10 दिसंबर 2013

stuti -sanjiv

स्तुति:

नमन लो

संजीव 

निराकार-साकार नमन लो
 
रूप-रंग-आकार नमन लो
 
हे कंकर में व्यापे शंकर
 
जनगण-मन के प्यार नमन लो
 
*
 
निर्गुण गुण आगार नमन लो
 
भवसागर-सरकार नमन लो
 
धर्म-कर्म के आदि प्रणेता
 
श्वास-आस सिंगार नमन लो
 
*
 
सत-शिव-सुंदर सार नमन लो
 
सत-चित-आनंदकार नमन लो
 
जड़-छेदन के सृजनहार हे!
 
हर मन के मनुहार नमन लो
 
*
Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
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