मुक्तक :
संजीव 'सलिल'
*
भारत नहीं झुका है, भारत नहीं झुकेगा
भारत नहीं चुका है, भारत नहीं चुकेगा
हम-आप मेहनती हों, ईमानदार हों तो-
भारत नहीं रुका है, भारत नहीं रुकेगा
*
आँसू पोंछे किसी आँख का मिलकर हम इस साल
श्रम-सीकर से रहे सुसज्जित सखे हमारा भाल
सघन तिमिर में दीप वर्तिका सदृश जल सकें मौन-
'सलिल' न व्यर्थ बजायें नेता जा संसद में गाल
*
पानी-पानी हो रहे बिन पानी तालाब
पानी खोकर आँख का मनुज हुआ बेआब
राजनीति के खेल में उल्टी चलते चाल-
कांटें सीने से लगा कुचले फूल गुलाब
***
संजीव 'सलिल'
*
भारत नहीं झुका है, भारत नहीं झुकेगा
भारत नहीं चुका है, भारत नहीं चुकेगा
हम-आप मेहनती हों, ईमानदार हों तो-
भारत नहीं रुका है, भारत नहीं रुकेगा
*
आँसू पोंछे किसी आँख का मिलकर हम इस साल
श्रम-सीकर से रहे सुसज्जित सखे हमारा भाल
सघन तिमिर में दीप वर्तिका सदृश जल सकें मौन-
'सलिल' न व्यर्थ बजायें नेता जा संसद में गाल
*
पानी-पानी हो रहे बिन पानी तालाब
पानी खोकर आँख का मनुज हुआ बेआब
राजनीति के खेल में उल्टी चलते चाल-
कांटें सीने से लगा कुचले फूल गुलाब
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