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सोमवार, 30 दिसंबर 2013

haiku geet : roop apna -sanjiv


हाइकु गीत:
रूप अपना
संजीव
*
रूप अपना / सराहती रही है / रूपसी आप
किसे बताये / प्रिय के नयनों में / गयी है व्याप...
*
है विधु लता / सी चंचल-चपल / अल्हड कौन
बोले अबोले / दे निशा निमंत्रण / प्रिय को मौन
नेह नर्मदा / ले रही हिलोरें ज्यों / मन्त्र का जाप...
*
कुसुम कली / किरण की कोर सी / है मुस्कुराई
आशा-आकांक्षा / मन में बसी पर / हाथ न आई
धर अधर / अधर में, अधर / अंकित छाप...
*
जीभ चिढ़ाये / नवोढ़ा सी लजाये / ठेंगा दिखाये
हरेक पल / समुद से सलिला / दूरी मिटाये
अरूणाभित / सिन्दूरी कपोलों को / छिपाये काँप...
*
अमराई में / कूकती कोकिला सी / देती आनंद
मठा-महेरी / पुरवैया-पछुआ / साँसों के छंद
समय देव ! / मनौती, नहीं देना / विरह शाप...
*
राग-रागिनी / सुर-सरगम सा / अटूट नाता
कभी न टूटे / हे सत्य नारायण! / भाग्य विधाता!!
हे नये वर्ष! / मिले अनंत हर्ष / रहें निष्पाप...
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facebook: sahiyta salila / sanjiv verma 'salil'



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