जबलपुर की वेब पत्रकारिता और साहित्य तथा समाज में उसका योगदान
विवेक रंजन श्रीवास्तव
जन संपर्क अधिकारी
म. प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी जबलपुर
मो ९४२५८०६२५२
विवेक रंजन श्रीवास्तव
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पौराणिक संदर्भो का स्मरण करें तो नारद मुनि संभवतः पहले पत्रकार कहे जा सकते हैं, इसी तरह युद्ध भूमि से लाइव रिपोर्टिंग का पहला संदर्भ संजय द्वारा धृतराष्ट्र को महाभारत के युद्ध का हाल सुनाने का है.
वर्तमान युग में विश्व में पत्रकारिता का आरंभ सन् 131 ईसा पूर्व रोम में माना जाता है. तब वहाँ “Acta Diurna” (दिन की घटनाएं) किसी बड़े प्रस्तर पट या धातु की पट्टी पर वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति, नागरिकों की सभाओं के निर्णयों और ग्लेडिएटरों की लड़ाइयों के परिणामों के बारे में सूचनाएं समाचार अंकित करके रोम के मुख्य स्थानों पर रखी जाती थीं. मध्यकाल में यूरोप के व्यापारिक केंद्रों में ‘सूचना-पत्र ‘ निकाले जाने लगे जिनमें कारोबार, क्रय-विक्रय और मुद्रा के मूल्य में उतार-चढ़ाव के समाचार लिखे जाते थे. ये सारे ‘सूचना-पत्र ‘ हाथ से ही लिखे जाते थे. 15वीं शताब्दी के मध्य में योहन गूटनबर्ग ने छापने की मशीन का आविष्कार किया. असल में उन्होंने धातु के अक्षरों का आविष्कार किया. फलस्वरूप किताबों का ही नहीं, अखबारों का भी प्रकाशन संभव हो सका. 16वीं शताब्दी के अंत में, यूरोप के शहर स्त्रास्बुर्ग में, योहन कारोलूस नाम का कारोबारी धनवान ग्राहकों के लिये सूचना-पत्र लिखवा कर वितरित करता था, पर हाथ से बहुत सी प्रतियों की नक़ल करने का काम मँहगा और धीमा था. अतः वह छापे की मशीन ख़रीद कर 1605 में समाचार-पत्र छापने लगा. समाचार-पत्र का नाम था ‘रिलेशन’, यह विश्व का प्रथम मुद्रित समाचार-पत्र माना जाता है. हिंदी पत्रकारिता का तार्किक और वैज्ञानिक आधार पर काल विभाजन करना कुछ कठिन कार्य है. हिंदी पत्रकारिता का उद्भव सन् 1826 से 1867 माना जाता है. 1867 से 1900 के समय को हिंदी पत्रकारिता के विकास का समय कहा गया है. 1900 से 1947 के समय को हिंदी पत्रकारिता के उत्थान का समय निरूपित किया गया है. जबलपुर में इसी अवधि में पत्रकारिता विकसित हुई. 1947 से अब तक के समय को स्वातंत्र्योत्तर पत्रकारिता कहा जाता है. स्वातंत्र्योत्तर पत्रकारिता में अखबार, पत्रिकायें, रेडियो तथा २० वीं सदी के अंतिम दो दशको में टी वी पत्रकारिता का उद्भव हुआ. २१वी सदी के आरंभ के साथ इंटरनेट तथा सोशल मीडिया का विस्तार हुआ और जब हम हिन्दी के परिदृश्य में इस प्रौद्योगिकी परिवर्तन को देखते हैं तो हिंदी पर इसके प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखते हैं . 21 अप्रैल, 2003 की तारीख वह स्वर्णिम तिथि है जब रात्रि 22:21 बजे हिन्दी के प्रथम ब्लॉगर, मोहाली, पंजाब निवासी आलोक ने अपने ब्लॉग ‘9 2 11’ पर अपना पहला ब्लॉग-आलेख हिन्दी वर्णाक्षरों में इंटरनेट पर पोस्ट किया था. इस तारीख को हिन्दी वेब पत्रकारिता का प्रारंभ कहा जाना चाहिये.
पत्रकारिता आधुनिक सभ्यता का एक प्रमुख व्यवसाय है जिसमें समाचारों का एकत्रीकरण, समाचार लिखना, रिपोर्ट करना, सम्पादित करना और समाचार तथा साहित्य का सम्यक चित्रांकन व प्रस्तुतीकरण आदि सम्मिलित हैं. सूचना और साहित्य किसी भी सभ्य समाज की बौद्धिक भूख मिटाने के लिये अनिवार्य जरूरत है. तकनीक के विकास के साथ इस आवश्यकता को पूरा करने के संसाधन बदलते जा रहे हैं. हस्त लिखित अखबार और पत्रिकायें, फिर टंकित तथा साइक्लोस्टायल्ड अथवा फोटोस्टेट पत्रिकायें, न्यूज लैटर या पत्रक, एक एक अक्षर को फर्मे पर कम्पोज करके तथा फोटो सामग्री के ब्लाक बनाकर मुद्रित अखबार की तकनीक, विगत कुछ दशको में तेजी से बदली है और अब बड़े तेज आफसेट मुद्रण की मशीने सुलभ हैं जिनमें ज्यादातर कार्य वर्चुएल साफ्ट कापी में कम्प्यूटर पर होता है. समाचार संग्रहण व उसके अनुप्रसारण के लिये टेलीप्रिंटर की पट्टियो को अभी हमारी पीढ़ी भूली नही है. आज हम इंटरनेट से ईमेल पर पूरे के पूरे कम्पोज अखबारी पन्ने ही यहाँ से वहाँ ट्रांस्फर कर लेते हैं.
सामाजिक
बदलाव में सर्वाधिक महत्व विचारों का ही होता है .लोकतंत्र में विधायिका ,
कार्यपालिका , न्यायपालिका के तीन संवैधानिक स्तंभों के बाद पत्रकारिता को
चौथे स्तंभ के रूप में मान्यता दी गयी क्योकि पत्रकारिता वैचारिक
अभिव्यक्ति का माध्यम है, आम आदमी की नई प्रौद्योगिकी तक पहुंच और
इसकी त्वरित स्वसंपादित प्रसारण क्षमता के चलते सोशल मीडिया व ब्लाग जगत
को लोकतंत्र के पांचवे स्तंभ के रूप में देखा जा रहा है. वैश्विक स्तर पर
पिछले कुछ समय में कई सफल जन आंदोलन इसी सोशल मीडिया के माध्यम से खड़े हुये
हैं. हमारे देश में भी बाबा रामदेव, अन्ना हजारे के द्वारा भ्रष्टाचार
के विरुद्ध तथा दिल्ली के नृशंस सामूहिक बलात्कार के विरुद्ध बिना बंद,
तोड़फोड़ या आगजनी के चलाया गया जन आंदोलन, और उसे मिले जन समर्थन के कारण
सरकार को विवश होकर उसके सम्मुख किसी हद तक झुकना पड़ा. इन आंदोलनो में
विशेष रुप से नई पीढ़ी ने इंटरनेट , मोबाइल एस एम एस और मिस्डकाल के द्वारा
अपना समर्थन व्यक्त किया. तब से होते निरंतर प्रौद्योगिकी विकास के साथ
हिन्दी के महत्व को स्वीकार करते हुये ही बी बी सी, स्क्रेचमाईसोल,
रेडियो जर्मनी, टी वी चैनल्स तथा देश के विभिन्न अखबारो तथा न्यूज चैनल्स
ने भी अपनी वेबसाइट्स पर पाठको के ब्लाग के पन्ने बना रखे हैं. बदलते
तकनीकी परिवेश के चलते अब हर हाथ में एंड्रायड मोबाइल आता जा रहा है,
समाचार के लिये एप्प उपलब्ध करवाये जा रहे हैं.
ब्लागर्स
पार्क दुनिया की पहली ब्लागजीन के रूप में नियमित रूप से मासिक प्रकाशित
हो रही है. यह पत्रिका ब्लाग पर प्रकाशित सामग्री को पत्रिका के रूप में
संयोजित करने का अनोखा कार्य कर रही है. मुझे गर्व है कि मैं इसके मानसेवी
संपादन मण्डल का सदस्य हूं . अपने नियमित स्तंभो में प्रायः समाचार पत्र
ब्लाग से सामग्री उधृत करते हैं. हिन्दी ब्लाग के द्वारा जो लेखन हो रहा
है उसके माध्यम से साहित्य, कला समीक्षा, फोटो, डायरी लेखन आदि आदि
विधाओ में विशेष रूप से युवा रचनाकार अपनी नियमित अभिव्यक्ति कर रहे हैं.
वेब दुनिया, जागरण जंकशन, नवभारत टाइम्स जैसे अनेक हिन्दी पोर्टल
ब्लागर्स को बना बनाया मंच व विशाल पाठक परिवार सुगमता से उपलब्ध करवा रहे
हैं और उनके लेखन के माध्यम से अपने पोर्टल पर विज्ञापनो के माध्यम से
धनार्जन भी करने में सफल हैं. हिन्दी और कम्प्यूटर मीडिया के महत्व को
स्वीकार करते हुये ही अपने वोटरो को लुभाने के लिये राजनैतिक दल भी इसे
प्रयोग करने को विवश हैं. हिन्दी न जानने वाले राजनेताओ को हमने रोमन
हिन्दी में अपने भाषण लिखकर पढ़ते हुये देखा ही है. 'महर्षि जाबालि की तपोभूमि, नर्मदांचल, संस्कारधानी जबलपुर सारस्वत संपदा से सदैव सम्पन्न रही है. वसुधैव कुटुम्बकम् की वैचारिक उद्घोषणा वैदिक भारतीय संस्कृति की ही देन है. वैज्ञानिक अनुसंधानों, विशेष रूप से संचार क्रांति तथा आवागमन के संसाधनों के विकास ने तथा विभिन्न देशो की अर्थव्यवस्था की परस्पर प्रत्यक्ष व परोक्ष निर्भरता ने इस सूत्र वाक्य को आज मूर्त स्वरूप दे दिया है. हम भूमण्डलीकरण के युग में जी रहे हैं. सारा विश्व कम्प्यूटर चिप और बिट में सिमटकर एक गाँव बन गया है. लेखन, प्रकाशन, पठन-पाठन में नई प्रौद्योगिकी की दस्तक से आमूल परिवर्तन होते जा रहे हैं. नई पीढ़ी अब बिना कलम-कागज के कम्प्यूटर पर ही लिख रही है, प्रकाशित हो रही है और पढ़ी जा रही है. ब्लाग तथा सोशल मीडीया वैश्विक पहुँच के साथ वैचारिक अभिव्यक्ति के सहज, सस्ते, सर्वसुलभ, त्वरित साधन बन चुके हैं. वेब-मीडिया सर्वव्यापकता को चरितार्थ करता है जिसमें ख़बरें दिन के चौबीसों घंटे और हफ़्ते के सातों दिन उपलब्ध रहती हैं. जबलपुर वेब मीडीया की पत्रकारिता में पीछे नहीं है, श्री चैतन्य भट्ट समाचार विचार नामक पोर्टल चला रहे हैं जिसमें साहित्य, सामयिक आलेख, कवितायें तथा समाचार नियमित रूप से अपडेट किये जाते हैं. इसकी हिट १००० से उपर प्रतिदिन है. वेब पता है http://samachar-vichar.com/
http://hindisahityasangam.blog
बहुत जरुरी है कि कम से कम जबलपुर के सभी निजी ब्लाग व वेब पन्ने एक दूसरे को ब्लागरोल पर जोड़ें जिससे उनका व जबलपुर का व्यापक हित ही होगा.
यह सही है कि अभी ब्लाग लेखन नया है पर जैसे जैसे नई कम्प्यूटर साक्षर पीढ़ी बड़ी होगी, इंटरनेट और सस्ता होगा तथा आम लोगो तक इसकी पहुंच बढ़ेगी यह वर्चुएल लेखन और भी ज्यादा सशक्त होता जायेगा। भविष्य में लेखन क्रांति का सूत्रधार बनेगा. जैसे-जैसे वेब की पठनीयता बढ़ेगी वेब पत्रकारो को विज्ञापन मिलेंगे और वेब पत्रकारिता कोरी लफ्फाजी या हाई प्रोफाइल बनने के स्वांग से बढ़कर आजीविका का संसाधन भी बन सकेगी.
फिलहाल जबलपुर की वेब पत्रकारिता विकास के युग में है और नियमित रूप से समाज और साहित्य को अपना सामग्री योगदान तथा इससे जुड़े लोगो को एक सशक्त मंच दे रही है.
Kusum Vir द्वारा yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंआचार्य जी,
इस ज्ञानवर्धक लेख को पढ़वाने के लिए धन्यवाद l
सादर,
कुसुम वीर