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गुरुवार, 24 अप्रैल 2014

Chunav Ayog ki web sight: sanjiv


विश्व हिंदी विकास परिषद
समन्वयम, २०४ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन जबलपुर ४८२००१

पत्रांक:  १०७  / चु आ / दिल्ली / २०१४                           जबलपुर दिनांक: २५-४-२०१४
प्रति-
       सुश्री नीता चौधरी 
       सचिवराजभाषा विभाग 
       श्रीमती नीलम कपूर
       प्रधान महानिदेशकपत्र सूचना कार्यालय 
       श्री वीएस संपत,
       मुख्य चुनाव आयुक्तभारत निर्वाचन आयोग 
       निर्वाचन सदनअशोक रोडनई दिल्ली -110001
       सुश्री मनीषा वर्मा 
       लोक शिकायत अधिकारीपत्र सूचना कार्यालय 
विषय: चुनाव आयोग की हिंदी वेबसाइट।
माननीय,
         वन्दे मातरम।
         निवेदन है कि:
1.    चुनाव आयोग द्वारा आम चुनाव पर केन्द्रित पोर्टल http://pib.nic.in/ elections2014/default.aspx राष्ट्रपति महोदय द्वारा दिनांक 02.07.2008 को जारी अनिवार्य आदेश के अनुरूप नहीं है जिसमें आदेशित है कि हर सरकारी निकाय अपनी वेबसाइट का शत-प्रतिशत द्विभाषी होना सुनिश्चित करे.देखें- (संसदीय राजभाषा समितिके ८वें  प्रतिवेदन की अनुशंसा क्रमांक ४४ एवं ६६ की सिफारिशों पर महामहिम राष्ट्रपति जी के आदेश). चुनाव आयोग का यह विशेष पोर्टल पूरी तरह से अंग्रेजी में है. 

2.    अनेक नागरिकों तथा संस्थाओं द्वारा लगातार अनुरोध किये जाने के बाद भी आयोग द्वारा हिंदी वेबसाइट के नाम पर केवल आवरण बनाया गया है. आयोग की अंग्रेजी वेबसाइट में बहुत सी जानकारी, दस्तावेज, प्रपत्र और मार्गदर्शन उपलब्ध है किन्तु हिंदी वेबसाइट मेन वही सामग्री नहीं है. भारत में हिंदी में लिखने व अनुवादकों का अकाल नहीं है. समझ के परे है कि चुनाव आयोग जैसा साधन सम्पन्न निकाय हिंदी वेबसाइट पर समस्त सामग्री क्यों नहीं उपलब्ध करा सका? 
३. आयोग द्वारा विज्ञप्ति, प्रश्नोत्तरी, भर्ती सूचना आदि केवल अंग्रेजी भाषा में प्रसारित किया जाना राजभाषा अधिनियम १९६३ की धारा ३ (३) के प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन है. अतः,  आयोग द्वारा प्रसारित आदेशों / निर्देशों / समाचार विज्ञप्तियों का हिंदी अनुवाद साइट पर तत्काल उपलब्ध कराया जाए तथा भविष्य में सभी सामग्री दोनों भाषाओं में एक साथ जारी हॉं.
३. राजभाषा अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार आयोग की बैठकों की कार्यवाही तथा   कार्यवृत्त (मिनट्स) हिंदी में होना आवश्यक है जिसका पालन अपेक्षित है.
४. आयोग की मुहरें (रबर स्टैम्प्स), लिफाफे (एनवलप), पत्र शीर्ष (लैटर हैड ) आदि द्विभाषी होना चाहिए।
५. आयोग जन सामान्य को  उत्तरदायित्व की अनुभूति करने के लिये लगातर जन शिक्षण हेतु प्रयासरत है किन्तु देशवासियों से संवाद के विदेशी भाषा को प्राथमिकता दिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. गुरुदेव रबीन्द्रनाथ ठाकुर के  अनुसार :

               ‘‘किसी भी सभ्य देश में विदेशी भाषा शिक्षा का माध्यम नहीं है । विदेशी भाषा के माध्यम से शिक्षा देने से विद्यार्थियों  का मन विकारग्रस्त हो जाता है और वे  अपने ही देश में स्वयं को विदेशी अनुभव करते हैं।’’         
                अतः , आयोग की विज्ञप्तियां, आदेश आदि हिंदी तथा प्रादेशिक / आंचलिक भाषाओँ / बोलिओं में  हों में हॉं यह आवश्यक है. हमें विश्वास है कि आयोग प्रभावी कदम उठाएगा तथा अधोहस्ताक्षरकर्ता को सूचित किया जाएगा.  यदि हिंदी में अनुवाद या लेखन की कठिनाई हो तो सूचना मिलने पर अनेक हिंदी प्रेमी सहायता हेतु अपनी सेवाएँ सहर्ष देंगें।
                   आपसे अनुरोध है कि राष्ट्रपति जी की गरिमा और पद का मान रखते हुए उक्त दोनों वेबसाइटों को अविलम्ब पूरी तरह द्विभाषी रूप में उपलब्ध करवाएं और उनके द्वारा जारी आदेशों का उल्लंघन रोकें
जय भारत, जय भारती
शुभाकांक्षी
 संदेश में फोटो देखें

​संजीव वर्मा ' सलिल'
अधिवक्ता
उच्च न्यायालय मध्य प्रदेश
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