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रविवार, 27 अप्रैल 2014

chhand salila: kudanli chhand -sanjiv


छंद सलिला:
कुडंली छंद
संजीव
*
छंद-लक्षण: जाति त्रैलोक लोक , प्रति चरण मात्रा २१ मात्रा, चरणांत गुरु गुरु (यगण, मगण), यति ११-१०।

लक्षण छंद:

छंद रचें इक्कीस / कला ले कुडंली
दो गुरु से चरणान्त / छंद रचना भली
रखें ग्यारह-दस पर, यति- न चूकें आप
भाव बिम्ब कथ्य रस, लय रहे नित व्याप

उदाहरण:
१. राजनीति कोठरी, काजल की कारी
   हर युग हर काल में, आफत की मारी
   कहती परमार्थ पर, साधे सदा स्वार्थ
   घरवाली से अधिक, लगती है प्यारी

२. बोल-बोल थक गये, बातें बेमानी
    कोई सुनता नहीं, जनता है स्यानी 
    नेता और जनता , नहले पर दहला
    बदले तेवर दिखा, देती दिल दहला
 
३. कली-कली चूमता, भँवरा हरजाई
    गली-गली घूमता, झूठा सौदाई
    बिसराये वायदे, साध-साध कायदे
    तोड़े सब कायदे, घर मिला ना घाट
          ******************************

(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अरुण, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, ककुभ, कज्जल, कामिनीमोहन, कीर्ति, कुडंली, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, चंद्रायण, छवि, जाया, तांडव, तोमर, दीप, दीपकी, दोधक, नित, निधि, प्लवंगम्, प्रतिभा, प्रदोष, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदनअवतार, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनमोहन, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, योग, ऋद्धि, राजीव, रामा, लीला, वाणी, विशेषिका, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शास्त्र, शिव, शुभगति, सरस, सार, सिद्धि, सुगति, सुजान, हेमंत, हंसगति, हंसी)
।। हिंदी आटा माढ़िये, उर्दू मोयन डाल । 'सलिल' संस्कृत सान दे, पूरी बने कमाल ।।

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