फ़ॉलोअर

गुरुवार, 10 अप्रैल 2014

CHITRA PAR KAVITA: SANJIV

चित्र पर कविता:
संजीव
*

बैल!
तुम सभ्य तो हुए नहीं,
मनुज बनना तुम्हें नहीं भाया।
एक बात पूछूँ?, उत्तर दोगे??
लड़ना कहाँ से सीखा?
भागना कहाँ से आया??
***
(स्व. अज्ञेय जी से क्षमा प्रार्थना सहित)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें