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गुरुवार, 17 अप्रैल 2014

chhand salila; hansgati chhand -sanjiv

छंद सलिला:
हंसगति छंद
संजीव
*
छंद-लक्षण: जाति महादैशिक , प्रति चरण मात्रा २० मात्रा, यति ११-९, चरणांत गुरु लघु लघु (भगण) होता है.


लक्षण छंद:
रचें हंसगति छंद, बीस मात्रा रख
गुरु लघु लघु चरणान्त, हर चरण में लख 
यति ग्यारह-नौ रहे, मधुर हो गायन
रच मुक्तक कवि करे, सतत पारायण

उदाहरण:
१. प्रजा तंत्र का अनुष्ठान है पावन
   जनमत संग्रह महायज्ञ मनभावन
   करी समर्पित मत-समिधा हमने मिल
   लोकतंत्र शतदल सकता तब ही खिल 

२. मिले सफलता तभी करो जब कोशिश
    मिटे विफलता तभी करो जब कोशिश
    रमा रहे मन सदा राम में बेशक
    लगा रहे तन सदा काम में बेशक

३. अन्य समय का देख उबलता सूरज
    पले पंक में अमल महकता नीरज
    काम अहर्निश करिए तजकर आलस
    मिले सफलता कर न गर्व प्रभु को भज
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(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, ककुभ, कज्जल, कीर्ति, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, छवि, जाया, तांडव, तोमर, दीप, दोधक, नित, निधि, प्रतिभा, प्रदोष, प्रेमा, बाला, भव, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनमोहन, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, ऋद्धि, राजीव, रामा, लीला, वाणी, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शिव, शुभगति, सरस, सार, सिद्धि, सुगति, सुजान, हंसगति, हंसी)

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