फ़ॉलोअर

मंगलवार, 4 फ़रवरी 2014

chhand salila: rama chhand -sanjiv

छंद सलिला:
रामा छंद 
संजीव 
*
(अब तक प्रस्तुत छंद: अग्र, अचल, अचल धृति, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा, एकावली, कीर्ति, घनाक्षरी, छवि, तांडव, तोमर, दीप, दोधक, निधि, प्रेमा, मधुभार, रामा, माला, लीला, वाणी, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शिव, शुभगति, सार, सुगति, सुजान, हंसी)
*
रामा छंद में माला छंद के सर्वथा विपरीत प्रथम पद में दो चरण इंद्र वज्रा छंद के तथा द्वितीय पद में उपेन्द्र वज्रा छंद के दो चरण होते हैं. 
उदाहरण:
१. पूजा उसे ही हमने हमेशा, रामा हमारा सबका सहारा 
   उसे सभी की रहती सदा ही, फ़िक्र न भूले वह देव प्यारा 
२. कैसे बहलायें परदेश में जो, भाई हमारे रहने गये हैं 
   कहीं रहें वे हमको न भूलें, बसे हमारे दिल में वही हैं 
३. कोई नहीं है अपना-पराया, जैसा जहाँ जो सब है तुम्हारा 
   तुम्हें मनायें दिन-रात देवा!, हमें न मोहे भ्रम-मोह-माया 
   ******

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें