Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot. in
facebook: sahiyta salila / sanjiv verma 'salil'
चित्र पर कविता
संजीव
*
जब कविता ही सामने, कलम लिये हो हाथ
संजीव
*
जब कविता ही सामने, कलम लिये हो हाथ
सलिल नहीं कविता करे, यह कैसे हो नाथ?
*
*
प्रश्नाकुल हैं नयन पर, उत्तर हुए अशेष
खाली प्याला चाय का, कहे कहानी शेष
*
*
युग कागज़ को समेटे, तरुणी बनी सवाल
संसद या जम्हूरियत के जी का जंजाल?
*
*
कोरे कागज़ पर लिखूँ, क्या? जो दे संतोष
जिससे तनिक समृद्ध हो, सरस्वती का कोष
*
*
श्यामल कंगन हाथ का, युग की नज़र उतार
कहे आम को ही चुनो, ख़ास तजो इस बार
*
*
Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें