छंद सलिला:
सिद्धि छंद
सिद्धि छंद
संजीव
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दो पदी, चार चरणीय, ४४ वर्णों, ६९ मात्राओं के मात्रिक सिद्धि छंद में प्रथम चरण इन्द्रवज्रा (तगण तगण जगण २ गुरु) तथा द्वितीय, तृतीय व् चतुर्थ चरण उपेन्द्रवज्रा (जगण तगण जगण २ गुरु) छंद के होते हैं.
उदाहरण:
१. आना, न जाना मन में समाना, बना बहाना नज़रें मिलाना
सुना तराना नज़दीक आना, बना बहाना नयना चुराना
उदाहरण:
१. आना, न जाना मन में समाना, बना बहाना नज़रें मिलाना
सुना तराना नज़दीक आना, बना बहाना नयना चुराना
२. ऊषा लजाये खुद को भुलाये, उठा करों में रवि चूम भागा हुए गुलाबी कह गाल क्यों हैं?, करे ठिठोली रतनार मेघा
२. ऊषा लजाये खुद को भुलाये, उठा करों में रवि चूम भागा हुए गुलाबी कह गाल क्यों हैं?, करे ठिठोली रतनार मेघा
३. आकाशचारी उड़ता अकेला, भरे उड़ानें नभ में हमेशा
न पिंजरे में रहना सुहाता, हरा चना भी उसको न भाता
३. आकाशचारी उड़ता अकेला, भरे उड़ानें नभ में हमेशा
न पिंजरे में रहना सुहाता, हरा चना भी उसको न भाता
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