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शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2014

hasya kavita: deewana -sanjiv


हास्य सलिला:
दीवाना 
संजीव
*
लालू ने सीटी फूँकी ज्यों लाली पडी दिखाई
'रे कालू! चेहरे पर काहे दिखती नहीं लुनाई
जीरो फिगर, हाड़ से गायब मांस भुतनिया आई
नहीं फूल या कली शूल है, कैसे करूँ सगाई?
वैलेंटाइन डे पर ले जो फूल कमर झुक जाए
दूध भैंस का पिये तनिक तो कोई इसे समझाए'
"लाली गरजी: ओ रे कालू! भैंसे सा मत फूल
लट्ठ पड़ेगा बापू का तो, चाटेगा तू धूल
लिख-पढ़ ले, कुछ काम-काज कर, क्यों खाता है गाली
रोज रोज़ लाएगा तो भी हाथ न आये लाली"
कालू बोला: तुम दोनों की माया अजब निराली
चैन न पड़ता बिना मिले, क्यों मुझको देते गाली?
खाता कसम न अब से मुझको साथ तुम्हारे आना
बेगानी शादी में क्यों हो अब्दुल्ला दीवाना?
*

facebook: sahiyta salila / sanjiv verma 'salil'

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