हास्य सलिला:
लाल गुलाब
संजीव
*
लालू घर में घुसे जब लेकर लाल गुलाब
लाली जी का हो गया पल में मूड ख़राब
'झाड़ू बर्तन किये बिन नाहक लाये फूल
सोचा, पाकर फूल मैं जाऊंगी सच भूल
लेकिन मुझको याद है ए लाली के बाप!
फूल शूल के हाथ में देख हुआ संताप
चलो रसोई सम्हालो, मैं जाऊं बाज़ार
चलकर पहले पोंछ दो मैली मेरी चार.'
****
लाल गुलाब
संजीव
*
लालू घर में घुसे जब लेकर लाल गुलाब
लाली जी का हो गया पल में मूड ख़राब
'झाड़ू बर्तन किये बिन नाहक लाये फूल
सोचा, पाकर फूल मैं जाऊंगी सच भूल
लेकिन मुझको याद है ए लाली के बाप!
फूल शूल के हाथ में देख हुआ संताप
चलो रसोई सम्हालो, मैं जाऊं बाज़ार
चलकर पहले पोंछ दो मैली मेरी चार.'
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