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सोमवार, 12 मई 2014

chhand salila: nishchal chhand -sanjiv


छंद सलिला:   ​​​

निश्चल छंद ​

संजीव
*
छंद-लक्षण: जाति रौद्राक, प्रति चरण मात्रा २३ मात्रा, यति १६-७, चरणांत गुरु लघु (तगण, जगण)

लक्षण छंद:
   कर सोलह सिंगार, केकसी / पाने जीत
   सात सुरों को साध, सुनाये / मोहक गीत
   निश्चल ऋषि तप छोड़, ऱूप पर / रीझे आप 
   संत आसुरी मिलन, पुण्य कम / ज्यादा पाप
   
उदाहरण:

१.  अक्षर-अक्षर जोड़ शब्द हो / लय मिल छंद 

    अलंकार रस बिम्ब भाव मिल / दें आनंद
    काव्य सारगर्भित पाठक को / मोहे खूब
    वक्ता-श्रोता कह-सुन पाते / सुख में डूब
 
२. माँ को करिए नमन, रही माँ / पूज्य सदैव
    मरुथल में आँचल की छैंया / बगिया दैव 

    पाने माँ की गोद तरसते / खुद भगवान
    एक दिवस क्या, कर जीवन भर / माँ का गान 

 
३. मलिन हवा-पानी, धरती पर / नाचे मौत
    शोर प्रदूषण अमन-चैन हर / जीवन-सौत
    सर्वाधिक घातक चारित्रिक / पतन न भूल
    स्वार्थ-द्वेष जीवन-बगिया में / चुभते शूल

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(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अरुण, अवतार, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उड़ियाना, उपमान, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, कुकुभ, कज्जल, कामिनीमोहन, कीर्ति, कुण्डल, कुडंली, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, चंद्रायण, छवि, जग, जाया, तांडव, तोमर, त्रिलोकी, दीप, दीपकी, दोधक, दृढ़पद, नित, निधि,
निश्चल, प्लवंगम्, प्रतिभा, प्रदोष, प्रभाती, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदनअवतार, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनमोहन, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, योग, ऋद्धि, रसामृत, राजीव, राधिका, रामा, लीला, वाणी, विरहणी, विशेषिका, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शास्त्र, शिव, शुभगति, सरस, सार, सिद्धि, सुगति, सुजान, संपदा, हरि, हेमंत, हंसगति, हंसी)

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