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रविवार, 4 मई 2014

chhand salila: jag chhand -sanjiv


छंद सलिला: 
 
जग छंद
संजीव
*
छंद-लक्षण: जाति रौद्राक, प्रति चरण मात्रा २३ मात्रा, यति १० - ८ - ५, चरणान्त गुरु लघु (तगण, जगण) ।
 

लक्षण छंद:
  
कदम-कदम मंज़िल / को छू पायें / पग आज
   कोशिश-शीश रखेँ / अनथक श्रम कर / हम ताज
   यति दस आठ पाँच / पर, गुरु लघु हो / चरणांत

   तेइस मात्री जग / रच कवि पा यश / इस व्याज

उदाहरण:
१.  धूप-छाँव, सुख-दुःख / धीरज धरकर / ले झेल
    मन मत विचलित हो / है यह प्रभु / का खेल
    सच्चे शुभ चिंतक / को दुर्दिन
मेँ / पहचान
   
संग रहे तम मेँ / जो- हितचिंतक / मतिमान  

२. चित्रगुप्त परब्रम्ह / ही निराकार / साकार 
    कंकर-कंकर मेँ  / बसते लेकर / आकार
    घट-घटवासी हैं / तन में आत्मा / ज्यों गुप्त
    जागृत देव सदै
व /  होते न कभी / भी सुप्त
 
 ३. हम सबको रहना / है मिलकर हर/दम साथ 
    कभी न छोड़ेंगे / हमने थामे / हैं हाथ 
    एक-नेक होँ हम / सब भेद करें/गे दूर
    'सलिल' न झुकने दें/गे हम भारत / का माथ


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(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अरुण, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उड़ियाना, उपमान, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, कुकुभ, कज्जल, कामिनीमोहन, कीर्ति, कुण्डल, कुडंली, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, चंद्रायण, छवि, जग, जाया, तांडव, तोमर, त्रिलोकी, दीप, दीपकी, दोधक, दृढ़पद, नित, निधि, प्लवंगम्, प्रतिभा, प्रदोष, प्रभाती, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदनअवतार, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनमोहन, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, योग, ऋद्धि, रसामृत, राजीव, राधिका, रामा, लीला, वाणी, विशेषिका, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शास्त्र, शिव, शुभगति, सरस, सार, सिद्धि, सुगति, सुजान, हरि, हेमंत, हंसगति, हंसी)

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