छंद सलिला:
मोहन (सरस) छंद
संजीव
*
लक्षण: जाति मानव, प्रति चरण मात्रा १४ मात्रा, यति ७-७, चरणांत लघु लघु लघु (नगण) होता है.
लक्षण छंद:
शुभ छंद रच मोहन-सरस
चौदह सुकल यति सात पर
प्रभु सुयश गा, नित कर नमन
चरणान्त में लघु तीन धर।
उदाहरण:
१. मोहो नहीं मोहन विनय
स्वीकार लो करुणा-अयन
छोडो नहीं भव पार कर
निज शरण लो राधारमण।
४. छोडो न रण वर लो विजय
मोहन (सरस) छंद
संजीव
*
लक्षण: जाति मानव, प्रति चरण मात्रा १४ मात्रा, यति ७-७, चरणांत लघु लघु लघु (नगण) होता है.
लक्षण छंद:
शुभ छंद रच मोहन-सरस
चौदह सुकल यति सात पर
प्रभु सुयश गा, नित कर नमन
चरणान्त में लघु तीन धर।
उदाहरण:
१. मोहो नहीं मोहन विनय
स्वीकार लो करुणा-अयन
छोडो नहीं भव पार कर
निज शरण लो राधारमण।
२. जिसका दरस इतना सरस
भज तो मिले पारस परस
भज तो मिले पारस परस
मिथ्या अहम् तजकर विहँस
पा मुक्ति मत नाहक तरस।
३. छोड़ दल-हित, साध जन-हित
त्याग दल-मत, पूछ जनमत
छोड़ दुविधा, राज-पथ तज-
त्याग सुविधा, वरो जन-पथ।
पा मुक्ति मत नाहक तरस।
३. छोड़ दल-हित, साध जन-हित
त्याग दल-मत, पूछ जनमत
छोड़ दुविधा, राज-पथ तज-
त्याग सुविधा, वरो जन-पथ।
४. छोडो न रण वर लो विजय
धरती-गगन-नभ हो अभय
मतिमान हो इंसान अब-
भी हो नहीं वीरान अब।
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(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, ककुभ, कज्जल, कीर्ति, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, छवि, जाया, तांडव, तोमर, दीप, दोधक, नित, निधि, प्रतिभा, प्रदोष, प्रेमा, बाला, भव, मधुभार, मनहरण घनाक्षरी, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, ऋद्धि, राजीव, रामा, लीला, वाणी, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शिव, शुभगति, सरस, सार, सिद्धि, सुगति, सुजान, हंसी)
भी हो नहीं वीरान अब।
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(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, ककुभ, कज्जल, कीर्ति, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, छवि, जाया, तांडव, तोमर, दीप, दोधक, नित, निधि, प्रतिभा, प्रदोष, प्रेमा, बाला, भव, मधुभार, मनहरण घनाक्षरी, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, ऋद्धि, राजीव, रामा, लीला, वाणी, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शिव, शुभगति, सरस, सार, सिद्धि, सुगति, सुजान, हंसी)
छंद के उदाहरण में तुकांतता सटीक नहीं लग रही आद. । दो-दो चरण की तुकांतता नहीं है क्या।
जवाब देंहटाएंतुकांतता सही नहीं है आद.
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