फ़ॉलोअर

शुक्रवार, 24 जनवरी 2014

chhand salila: tomar chhand -sanjiv

छंद सलिला:
बारहमात्रीय छंद
संजीव
*

(अब तक प्रस्तुत छंद: अग्र, अचल, अचल धृति, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रा वज्रा, उपेन्द्र वज्रा, कीर्ति, घनाक्षरी,
छवि, तोमर, दीप, दोधक, निधि, प्रेमा, माला, वाणी, शक्तिपूजा, शाला, शुभगति, सार, सुगति, सुजान, हंसी)
*
बारह मात्रीय छंदों के २३३ भेद या प्रकार हैं जिनमें से तोमर, तांडव, लीला तथा नित अधिक लोकप्रिय हैं.

*
तोमर छंद
बारह मात्रा, अंत में गुरु लघु 
बारह सुमात्रिक छंद, तोमर सृजे आनंद 
गुरु-लघु रखे पद-अंत, सुर-नर पुजित ज्यों संत 
आदित्य बारह मास, हरकर तिमिर संत्रास  
भू को बना दे स्वर्ग, ईर्ष्या करे सुर वर्ग 
कलकल बहे जल धार, हर श्रांति-क्लांति अपार 
कलरव करें खगवृंद, रवि-रश्मि ताप अमंद 
सहयोग सुख सद्भाव, का हो न तनिक अभाव
हो लोक सेवक तंत्र, जनतंत्र का यह मंत्र
****
सalil.sanjiv@

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें